आटा बनाना सीख लूंगी और चुपचाप रोटी बनाकर भानुप्रसाद को खिलाकर उसे पीछे वाले कमरे के बक्से पर सुला आऊंगी.
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जैसे रोटी बनाने के लिये गेहू को आटा बनाना पडता है वैसे ही चमडे कि जरुरत पशुओ कि खाल से ही पुरी होती है।
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यह सोचकर मुझे बड़ा आश्चर्य होता है कि आखिर गेहूँ को पीस कर आटा बनाना, गूँथना, तवे में सेंकना और फिर सीधी आँच में उसे फुला कर रोटी बनाना आखिर मनुष्य ने सीखा कैसे होगा?
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यह सोचकर मुझे बड़ा आश्चर्य होता है कि आखिर गेहूँ को पीस कर आटा बनाना, गूँथना, तवे में सेंकना और फिर सीधी आँच में उसे फुला कर रोटी बनाना आखिर मनुष्य ने सीखा कैसे होगा? यही जानने के लिये जब मैंने नेट को खँगाला तो मुझे निम्न जानकारी मिलीः